बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का तूफानी इंटरव्यू

जवाब: निश्चित रूप से उत्तराखंड में बीजेपी अच्छे अंतर से सरकार बनाने जा रही है.

सवाल: आप लोगों ने उत्तराखंड में भी कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को अपने साथ मिलाया, क्या आपको इसका फायदा होगा?

जवाब: ये एक प्रक्रिया है. एक पार्टी टूट रही है और अच्छे काम करने वाले लोग उससे निकलकर दूसरी पार्टी में आ रहे हैं. इस प्रक्रिया को दल-बदल के तहत न देखा जाए. ये चुनाव के पहले हो रही है. सरकार बनाने के लिए आया राम, गया राम नहीं हो रही है. जो आए उनको लेकर हम जनता के सामने जाएंगे, जनता अपना फैसला सुनाएगी.

सवाल: कहते हैं, गोवा में कांटे की टक्कर है. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि अमित शाह को मनोहर पर्रिकर को दोबारा यहां बुलाना पड़ा, क्या आप इस बात को मानते हैं?

जवाब: नहीं, पार्टी ने अभी तक ऐसा कोई फैसला नहीं किया है. हां, ये जरूर है कि अगर गोवा की जनता चाहती है तो पार्टी ने दोनों रास्ते खुले रखे हैं. चुनाव परिणाम आने के बाद विजयी विधायकों की राय पर संसदीय दल इसपर अंतिम फैसला लेगा. ये भी कहूंगा कि गोवा में हमारी स्थिति काफी अच्छी है. पहली बार हमने पांच साल की सरकार दी है. पहले 10 साल में कांग्रेस ने 12 मुख्यमंत्री दिए थे.

सवाल: पंजाब चुनाव के बारे में आपका क्या ख्याल है. चर्चा है कि कांग्रेस और बीजेपी की वहां बढ़त दिख रही है?

जवाब: मेरे हिसाब से पंजाब में तीनों (शिअद+बीजेपी, कांग्रेस, आप) पार्टियों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. शिरोमणी अकाली दल और बीजेपी प्रकाश सिंह बादल जैसे मजबूत और वरिष्ठ नेता के साथ मैदान में पूरे दमखम से खड़ी है.

सवाल: महाराष्ट्र में शिवसेना आपसे नाराज है. इस बार कॉरपोरेशन और जिला परिषद के चुनाव अकेले लड़ रही है. क्या आपको लगता है कि केंद्र और राज्य सरकार में इससे आपके रिश्तों में कोई फर्क पड़ेगा?

जवाब: ये हमारा फैसला नहीं है, ये शिवसेना पार्टी का फैसला है. हमारा मन खुला है, शिवसेना हमारा विश्वस्त साथी है. केंद्र और राज्य की सरकारों में वो हमारे साथ हैं. अब एक फ्रेंडली मैच हो रहा है, प्रदेश की जनता इसका रिजल्ट तय करेगी.

सवाल: तो आप कह रहे हैं कि शिवसेना के साथ छोटा-मोटा मनमुटाव है?

जवाब: नहीं, ये मनमुटाव नहीं है. दोनों पार्टियों का अपने बारे में जो आंतरिक आंकलन है उसमें अंतर है. दोनों दलों को अपनी ताकत पर भरोसा है. ये जरूर है कि इससे हमारे गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

सवाल: आपके लिए अगला महत्वपूर्ण पड़ाव गुजरात विधानसभा चुनाव है, आपको क्या लगता है वहां बीजेपी कैसा करेगी?

जवाब: वहां हाल में जो स्थानीय निकाय चुनाव और उपचुनाव हुए उसमें बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया. वहां बीजेपी काफी अच्छी स्थिति में है. हम वहां 1990 के बाद कभी चुनाव नहीं हारे. एक बार फिर हम वहां दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनाएंगे.

सवाल: इन परिस्थितियों को देखकर 2019 के बारे में आपका क्या अनुमान है?

जवाब: हाल ही में एक अखबार का सर्वे आया था कि अगर आज चुनाव होते हैं तो बीजेपी को 370 सीटें आएंगी. 2019 तक देश का विकास कर, देश की सुरक्षा बढ़ाकर, गरीबों का जीवन स्तर उठाकर हम और मजबूत होंगे. हमने गरीबों का जीवन स्तर बदलने का काम किया है. धुएं वाले घरों में गैस चूल्हा पहुंचने, बैंक खाते खुलने, शौचालय बनने से महिलाओं और गरीबों को कैसा सुकून हो रहा होगा ये तो वही जानते होंगे.

सवाल: बड़े अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होगी, इसपर आपका क्या कहना है?

जवाब: अभी तक तो इसका ऐसा असर नहीं दिखा है लेकिन मान लीजिए एक-आध क्वार्टर में ऐसा होता भी है तो आप जरा अंदाजा लगाइए, आठ लाख करोड़ रुपए सिस्टम में आ जाने से कितना बड़ा बदलाव होगा. ये पैसा अब तक कालेधन के रूप में तहखानों, तिजोरियों में पड़ा था. आज सिस्टम के अंदर है. मैं मानता हूं कि इससे बहुत बड़ा फर्क पड़ेगा.

सवाल: आप अक्सर चुनाव के पहले बेहद रिलैक्स रहते हैं, इसका कोई खास राज?

जवाब: हम चुनाव को लोकतंत्र का एक महोत्सव मानकर लड़ते हैं. हम विचारधारा, घोषणापत्र और कैडर के साथ मैदान में जाते हैं. हार-जीत हमारे लिए बहुत मायने नहीं रखती. हम परफॉर्मेंस की राजनीति करते हैं. हम जाति-धर्म की राजनीति नहीं करते.

सवाल: अमित शाह का अगला मुकाम क्या होगा? क्या आप 2019 के चुनाव में केंद्र की राजनीति में आना चाहेंगे या सरकार में आना चाहेंगे या गुजरात लौटना चाहेंगे या फिर किसी प्रदेश की राजनीति की बागडोर संभालना चाहेंगे?

जवाब: मेरा गुजरात वापस जाने का सवाल ही नहीं है. मैं केंद्र की राजनीति में ही हूं. मेरा पहला दायित्व है कि 2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी इस बार से भी ज्यादा बहुमत से जीते.

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