जवाब: देखिए, दोनों हारों के लिए हमारी पार्टी ने एक कमेटी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट भी आई है. लेकिन उसकी सार्वजनिक चर्चा करना ठीक नहीं है. मैं एक बात जरूर कहना चाहूंगा कि एक विशेष राजनीतिक परिस्थिति दोनों राज्यों में थी. उसके बाद हम असम का चुनाव भी जीते हैं. देशभर में जितने स्थानीय निकाय के चुनाव हुए, सब में जीते. उपचुनावों में हम मजबूत बनकर उभरे. केरल और बंगाल में भी हम बढ़े. हर जगह मोदी जी के नेतत्व को स्वीकृति मिली है.
सवाल: बीजेपी की रणनीति इस बार कुछ लोगों को जोड़ने की रही है तो कुछ दलों को तोड़ने की भी. इस बार आपने यूपी में नेता विपक्ष (स्वामी प्रसाद मौर्य) को तोड़कर अपनी पार्टीं में मिलाया. इसके क्या मायने निकाले जाएं?
जवाब: जोड़ना और तोड़ना दोनों शब्द इस घटना के लिए ठीक नहीं है, ये माइग्रेशन है. जिस प्रकार से परिवारवाद व जाति की राजनीति चल रही है और बसपा का लूट-खसोट का कारोबार चल रहा है. इससे त्रस्त होकर लोग बीजेपी की ओर माइग्रेट हो रहे हैं. मैं मानता हूं कि समाज की सज्जनशक्ति का एकत्रीकरण बीजेपी को करना चाहिए. अगर समाज की सज्जनशक्ति का एकत्रीकरण बीजेपी की ओर होता है तो यूपी और देश दोनों का भला होगा.
यूपी के चुनाव को आप इस राज्य से जोड़कर न देखें. अगर देश की विकास दर को दोहरे अंक में ले जाना है तो यूपी के विकास को भी हर हाल में दोहरे अंक में पहुंचाना होगा. (बात जारी रखते हुए… जहां पशुधन रोज मारा जाता हो, स्वास्थ्य सेवाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर खस्ताहाल हो, युवाओं के लिए रोजगार न हो, महिलाओं की सुरक्षा न हो, मुद्दों का सम्मान न हो, केवल जातिवाद, वोटबैंक, तुष्टिकरण की राजनीति और भ्रष्टाचार के आधार पर अपना रुतबा बनाए रखने की रणनीति चल रही हो उससे उत्तर प्रदेश का भला नहीं होगा.)
सवाल: अभी आपने परिवारवाद की बात की. मोदी जी ने भी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से इस बार अपील की थी कि वे अपने रिश्तेदारों के लिए टिकट न मांगें. उसके बाद भी आप लोगों को काफी टिकट बांटने पड़े?
जवाब: हम जिस परिवारवाद की बात करते हैं उसकी व्याख्या भी स्पष्ट कर देता हूं. मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश बाकी सारे नेताओं को दरकिनार कर मुख्यमंत्री बनते हैं, ये परिवारवाद है. फ़ारुख़ अब्दुल्ला जी के बाद उनके बेटे मुख्यमंत्री बनते हैं, ये परिवारवाद है. जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी ये परिवारवाद है. किसी नेता का बच्चा चुनाव लड़ता है वह एमएलए बनेगा, एमपी बनेगा, सालों तक काम करेगा मगर मुख्यमंत्री नहीं बन सकेगा, अगर उसमें काबलियत नहीं है. ये केवल बीजेपी में देखने को मिलता है.
आप परिवारवाद की व्याख्या इतनी सरल मत कर दीजिए. देश में कोई कन्फ्यूजन नहीं है.
एक आदमी गरीब घर से उठकर देश का प्रधानमंत्री बन जाता है. मेरे जैसा बूथ कार्यकर्ता बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाए, ऐसी पार्टी में कभी भी परिवारवाद नहीं आ सकता.
सवाल: जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कुछ नेता सांप्रदायिक बयान देने लगे हैं, जिससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की बू आती है. मोदी जी ने ऐसे नेताओं को पहले भी काफी चेतावनी दी, इस बार आपका इनके साथ क्या रवैया रहेगा?
जवाब: आप इस चीज को बीजेपी के साथ जोड़कर मत देखिए. यूपी के साथ एक विशेष प्रकार की परिस्थिति है. यहां बहुत बड़ा आक्रोश है, जिस तरह से वोटबैंक, तुष्टिकरण की राजनीति हुई, इसके खिलाफ अगर कोई कुछ बोलता है तो वह जनता की आवाज उठाता है. मगर, सांप्रदायिक प्रचार नहीं करना चाहिए, सांप्रदायिक चीजों को एजेंडा नहीं बनाना चाहिए. हम इस बात को मानते हैं लेकिन अगर कोई हमारी ओर से कत्लखाने पर उठाए गए कदम को सांप्रदायिक कहता है तो वो जान लें कि ये किसानों की भलाई के लिए उठाया गया कदम है.
पश्चिमी यूपी में जो पलायन होता है अगर हम उसके लिए टास्क फोर्स बनाते हैं. अगर कोई इसे सांप्रदायिक कहता है तो ये उन्हें जानना चाहिए कि ये उत्तर प्रदेश की जनता की भलाई के लिए है. कोई बच्चियों को प्रताड़ित करे, जिसके चलते वे स्कूल कॉलेज नहीं जा पाती हैं. इसके खिलाफ अगर बीजेपी एंटी रोमियो स्क्वॉयड बनाती है तो सांप्रदायिक बात नहीं है, ये छात्राओं का अधिकार है. छात्राएं अपनी पढ़ाई अपने गांव, शहर में रहकर पूरी करें ये उनका अधिकार है. इसलिए सांप्रदायिकता की परिभाषा में इन सारी बातों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए.
सवाल: पश्चिमी उत्तर प्रदेश आपके लिए काफी महत्वपूर्ण, वहां जो पलायन हुए हैं इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?
जवाब: बेशक, सपा, बसपा के तुष्टीकरण और वोटबैंक की राजनीति को. अगर कानून का राज होता, संविधान के तहत थाने काम करते. संविधान के मार्गदर्शन में पुलिस काम करती तो ये कभी नहीं होता. जबकि पुलिस को कहा गया कि वे जाति-धर्म देखकर रिपोर्ट दर्ज करे. इसी वजह से पलायन की घटनाएं हुईं.
सवाल: आप सरकार बनाएंगे तो क्या कदम उठाएंगे?
जवाब: हमने पहले भी कदम उठाए हैं, जब यूपी में कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह की सरकार थी तो इस तरह की घटनाएं रुकी थी. देश भर में हमारी 14 सरकारें हैं, कहीं पलायन नहीं हो रहा है.
सवाल: बिहार चुनाव के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-संघचालक मोहन भागवत ने आरक्षण के खिलाफ आवाज उठाई और इसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ा. इस बार भी मनमोहन वैद्य जी ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इसी तरह की बात की. हम आपसे जानना चाहते हैं कि आरक्षण के बारे में आपका क्या मत है?
जवाब: उस वक्त भी मोहन जी ने ऐसी कोई बात नहीं कही थी, न इस बार मनमोहन जी ने इस तरह का कुछ भी कहा है. मनमोहन जी से धार्मिक आरक्षण पर सवाल पूछा गया था. मगर किसी ने सवाल निकाल दिया और जवाब दिखा दिया. अगले दिन मनमोहन जी के जवाब का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें सच सामने आ चुका है. वीडियो में साफ तौर से कहा गया है कि सवाल सच्चर कमेटी के अंदर धार्मिक आरक्षण पर था. संघ भी स्पष्ट कर चुका है कि आज ऐसी स्थिति नहीं है कि आरक्षण की स्थिति को बदला जा सके. आरक्षण पर फिलहाल कोई पुनर्विचार करने की जरूरत नहीं है. बीजेपी का स्पष्ट मत है कि भारतीय संविधान के तहत देश में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए जो आरक्षण की व्यवस्था चल रही है, वह जारी रहेगी.
मैं सपा, कांग्रेस और बसपा से पूछना चाहता हूं कि वो लोग अल्पसंख्यकों के लिए जो आरक्षण की बात करते हैं, वह कहां से लाएंगे? सुप्रीम कोर्ट ने 50 फीसदी का एक कैप बना दिया है इसके बाद आप आरक्षण बढ़ा नहीं सकते हैं. कुछ राज्यों में 50 फीसदी पूरा का पूरा बंट चुका है. एससी, एसटी और ओबीसी के तहत अगर आप अल्पसंख्यक को आरक्षण देना चाहते हैं तो आप इन लोगों का हक काटेंगे. बीजेपी दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण का विरोध नहीं करती. जबकि धर्म के नाम पर आरक्षण मांगने वाले दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण में कटौती करने की बात कह रही ही. मैं चाहता हूं कि सपा, बसपा और कांग्रेस इस बार के चुनाव में जनता को बता दें कि वह दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों में से किसका आरक्षण काटेंगे.
हमारा मत स्पष्ट है कि हम धार्मिक आरक्षण के पक्ष में नहीं हैं. आरक्षण का आधार धार्मिक नहीं हो सकता. संविधान इसकी अनुमति नहीं देता. ऐसे में वर्तमान व्यवस्था ही लागू रहनी चाहिए.
सवाल: आपने कई राज्यों के चुनाव लड़े जहां आपका मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं था. असम में था, जिसका आपको लाभ भी मिला. यूपी में आपने कोई चेहरा क्यों नहीं आगे किया है?
जवाब: ये बीजेपी के संसदीय दल का फैसला है. साथ ही मैं आपको ये भी बता दूं कि महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा चुनाव में भी हमने मुख्यमंत्री चेहरा नहीं दिया था, फिर भी हम जीते. हां, इतना जरूर कहूंगा कि हमारा जो चेहरा होगा वह इन चेहरों (अखिलेश, मायावती) से अच्छा होगा.
सवाल: प्रधानमंत्री जी ने ट्रिपल तलाक का विरोध किया था, आपके घोषणापत्र में भी इसका जिक्र है, इसपर क्या कहेंगे?
जवाब: हम बहुत स्पष्टता से मानते हैं, संविधान के तहत इस देश की हर महिला को उसका अधिकार मिलना चाहिए. अगर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में रिव्यू कर रही है तो मैं मानता हूं कि देश की दूसरी महिलाओं की तरह मुस्लिम महिलाओं को भी संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए. ट्रिपल तलाक मुस्लिम महिलाओं के अधिकार का हनन करती है.
सवाल: उत्तराखंड में बीजेपी के जीतने की क्या संभावना है?
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